करुणा निधान

करुणा निधान

हमारे सर पर से कभी,
हाथ ना हटाना ,
कुछ गलत करूँ तो ,
सज़ा लगाना ,
पर है करुणा निधान ,
कभी अपने से अलग ना करना |

गुनाह

गुनाह

क्या गुनाह हैं इन बाँहों का जो इनको
इतना तड़पा रहे हों ,
इश्क तो कमबख्त इस दिल ने किया था ,
फिर दिल की सज़ा इन बाँहों को
क्यूँ दिये जा रहे हों |